एक ऐसे बंदर की कहानी (Bandar ki kahani) जिसका नाम गिल्लू था और उसे हमेशा काम न करने से खुशी मिलती थी । आए जानते है क्या उसे ये बुरी आदत कोई नुकसान पोहचती है या कोई उसे इससे बचा लेता है ।
गिल्लू Bandar ki kahani
एक बार की बात है, जंगल में एक मंदबुद्धि बंदर रहता था। उसका नाम गिल्लू था। गिल्लू को कोई काम करने का मन नहीं था। वह सिर्फ अपने मजे में ही लगा रहता था।
एक दिन, गिल्लू के पास एक साधु बाबा आया। बाबा ने गिल्लू से कहा, “बेटा, तुम्हें कुछ काम करना चाहिए। अन्यथा, तुम्हारी बुद्धि का उपयोग नहीं होगा।”
गिल्लू ने कहा, “मुझसे कोई काम नहीं होता। मैं सिर्फ खेलने में ही समय बिताता हूँ।”
बाबा ने गिल्लू को समझाया, “बेटा, हर किसी का जीवन में कोई न कोई काम होता है। तुम्हें भी अपने काम को धुंधना चाहिए।”
गिल्लू को बाबा के शब्दों में कुछ समझ में आया। वह सोचने लगा कि वह क्या काम कर सकता है।
वह एक छोटे से वृक्ष के नीचे बैठा रहा। तभी एक सांप उसके सामने से गुजर गया। गिल्लू ने सांप को देखा और जल्दी से उस पेड़ की ऊपर चढ़ गया।
बाबा ने देख लिया कि गिल्लू ने सांप को देखते ही कैसे उस पेड़ की ऊपर चढ़ लिया। बाबा ने गिल्लू को देखा और कहा, “बेटा, तुम्हारी बुद्धि तो ठीक है। तुमने ठीक किया कि तुम सांप से बच गए। लेकिन यह भी जान लो कि सब कुछ एक से होता है और आप बस कुछ भी नहीं कर सकते।”
गिल्लू को बाबा के बातों में गहरा अर्थ समझ में आया। उसने बाबा की सीख को अपनाया और अब वह हर काम को समय पर करने लगा। उसने समझा कि जीवन में हर काम का महत्व होता है और हर काम सिर्फ बुद्धि से ही नहीं, बल्कि दिल से भी किया जाता है।